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Wednesday, 15 November 2017

Basic Electrical

Engineering Material- ऐसे पदार्थ जो विधुत अभियान्त्रिकी के क्षेत्र में प्रयोग में लिये जाते है विधुत अभियान्त्रिकी पदार्थ कहलाते है।
1. Conductor (चालक)
2. Semiconductor (अर्द्धचालक)
3. Insulator (अचालक)
4. Magnetic Material (चुम्बकीय पदार्थ)

1- Conductor Material (चालक पदार्थ) - ऐसे पदार्थ जिसमें विधुत धारा का प्रवाह आसानी से हो सकता हो चालक पदार्थ कहलाता है। इनकी चालकता बहुत अधिक होती है इनमें कमरे के तापमान पर मुक्त इलैक्ट्रान की संख्या बहुत अधिक मात्रा में होती है जिसके कारण इनमें धारा का प्रवाह सुगमता से होता है। चांदी विधुत का बहुत अच्छा चालक है इसमें मुक्त इलैक्ट्रॉन की संख्या बहुत अधिक होती है। जैसा:- चांदी, सोना, ताबंा, एल्युमिनियम इत्यादि।
एक अच्छे चालक में निम्न प्रकार के गुण होने चाहिए:-
      1. कम विशिष्ट प्रतिरोध।
      2. जंगरोधि।
      3. अधिक यांत्रिक श्क्ति।
      4. अधिक गंलनाक बिन्दु।
      5. तार खीचनें योग्य।
      6. आसानी से सोल्डर होने योग्य।
      7. आसानी से उपलब्ध होना चाहिए।
      8. कम कीमती।

2- Semiconductor Material (अर्द्धचालक पदार्थ):- ऐसे पदार्थ जिनकी चालकता चालक और अर्द्धचालक पदार्थों के बीच की हो अर्थात वे पदार्थ जो विधुत के न तो अच्छे चालक हो और नहीं अच्छे कुचालक हो अर्द्धचालक पदार्थ कहलाते है। सामान्य तापमान पर इन पदार्थों की चालकता बहुत ही कम होती है जैसे जैसे तापमान बढता इनकी चालकता भी तेजी से  बढती जाती है। जैसे की:-जर्मेनियम, सिलिकॉन, गैलियम, आर्सेनिक आदि।
अर्द्धचालकों के गुण:-
      1. इनकी दक्षता अधिक होती है।
      2. इनमें विधुत श्क्ति व्यय कम होता है।
      3. ये हल्के तथा आकार में छोटे होते है।
      4. ये वातावरण के प्रभाव से मुक्त होते है।

3- Insulator (अचालक)- ऐसे पदार्थ जिनमें धारा का प्रवाह आसानी से नहीं होता है अचालक पदार्थ कहलाते है। अचालक पदार्थों में इलैक्ट्रॉन Nucleus के साथ Tightly Bounded होते है इसके कारण वे पदार्थ में असानी से गति नहीं कर पाते है। इन पदार्थों में मुक्त इलैक्ट्रोनों की संख्या भी बहुत कम अथवा नगण्य होती है जिसके कारण इन पदार्थों में धारा प्रवाह नहीं होता है। इनका प्रतिरोध बहुत अधिक होता है तथा चालकता बहुत ही कम होती है अथवा नगण्य होती है। जैसे:- प्लासटिक, सिरेमिक,पी वी सी इत्यादि।

Safety Accessories- जो एसैसरिज विधुत परिपथ को शॉर्ट सर्किट, ओवर लोड एवं लीकेज की स्थिति में सुरक्षा प्रदान करती है वह सुरक्षात्मक एसैसरिज कहलाती है।
जैसे- Fuse, MCB, ELCB, RCCB, MCCB आदि।

Fuse - यह परिपथ का वह कमजोर भाग होता है जो परिपथ में अत्यधिक धारा बहने पर पिघल कर परिपथ को विधुत सप्लाई से सुरक्षित तरिके से अलग कर देता है। Fuse Wire का मुख्य कार्य निर्धारित मान की धारा को सहन करना है और यदि निर्धारित मान से अधिक धारा परिपथ में प्रवाहित हो तो पिंघल कर परिपथ को सुरक्षा प्रदान करना है। Fuse Wire मुख्यतः टीन, लैड, जिंक, सिल्वर, एल्युमिनियम, कॉपर आदि के बनाये जाते है। मुख्य रूप से Fuse का वर्गीकरण दो प्रकार से किया गया है-
1. वोल्टेज के आधार पर
        A-हाई वोल्टेज फ्यूज।
        B-लो वोल्टेज फ्यूज।
2. बनावट के आधार पर।
        A-Semiclosed Fuse - इसमें KITKAT प्रकार के फ्यूज आते है।
        B-Totaly Closed Fuse- इसमें एच आर सी, कारट्रिज और लिकिव्ड प्रकार के फ्यूज आते है।

KITKAT Fuse- इस प्रकार के फयूज पोर्सलेन के बने होते है इसके दो भाग होत है एक फ्यूज  कैरियर तथा दूसरा बेस । फ्यूज वायर फयूज कैरियर में लगा होता है । जब धारा निर्धारित मान से अधिक परिपथ में प्रवाहित होती है तो यह फ्यूज वायर पिघल जाता है और परिपथ को सुरक्षा प्रदान करता है । इस फ्यूज वायर के जलने के बाद नया फ्यूज वायर कैरियर में लगा कर उसी यूनिट को पुनः प्रयोग में लिया जा सकता है। इस लिये यह MCB की अपेक्षा सस्ता होता है परन्तु यह अधिक विश्वनीय नहीं है।


HRC Fuse- इसका पूरा नाम उच्च विदारण क्षमता हाई रैप्चरिंग कैपेसिटी फ्यूज है। इसकी क्षमता 30A से 1000A तक की होती है। यह फ्यूज पूरी तरह से बंद होता है इस फ्यूज में एक सिरामिक की गोल टयूब होती है तथा ट्यूब के दोनों सिरों पर कांटेक्ट पांईट लगे होते है जो की फ्यूज एंलिमेंट से जुडा रहता है। इस फ्यूज में चिंगारी की गर्मी को कम करने के लिए पाउडर भरा होता है जिससे की फ्यूज में उत्पन्न हुई चिंगारी से आग लगने का डर नहीं रहता है।

Kartridge Fuse- यह फ्यूज पूरी तरह से बद होता है तथा हाई वोल्टता पर इसका इस्तेमाल किया जाता है इस फ्यूज में कोराना से लडने की क्षमता होती है इसका ऐलिमेंट तांबा व टिन की मिश्र धातु से क्रमशः 67 व 37 प्रतिशत से बना होता है। इसकी क्षमता 2। से 60। तक की होती है।यह फ्यूज पोर्सलिन व कांच का बना होता है तथा ट्यूब के आकार में होता है तथा ट्यूब के दोनों सिरों पर कांटेक्ट पांईट लगे होते है जो की फ्यूज एंलिमेंट से जुडा रहता है।

MCB- MCB ने आधुनिक समय में फ्यूज का स्थान ले लिया है आज के समय में MCB का प्रयोग काफि बढ गया है। यह प्रायः 63एम्पियर क्षमता तक की बनाई जाती है इसका ट्रिप लेवल इसकी लोड धारा क्षमता से अधिक होता है निर्धारित क्षमता से अधिक धारा परिपथ में प्रवाहित होने पर ही ये परिपथ को ट्रिप कर देती है। इसमें अर्थ दोष प्रोटेक्शन नहीं होता है। MCB निम्न गुणों के कारण आज लोकप्रिय हो चुकी है:-
1. इसकी स्थापना करना अधिक सरल है।
2. ये देखने में सुन्दर लगती है।
3. यह अधिक भरोसेमंद है।
4. इसकी देखभाल की कम आवश्यकता होती है।
5. इसे दोष आने पर संचालित करना बहुत सरल है। दोष आने पर इसे संचालित करने के लिए इसकी नॉब को केवल उपर करना पडता है।
6. यह अतिभारति अवस्था में ओवरलोड धारा के चौथे भाग पर परिपथ को काट देता है।
7. MCB कि स्थिति को देखकर ही दोष वाले परिपथ का पता लगाया जा सकता है।

ELCB -यह अर्थ लीकेज की स्थिति में परिपथ को सप्लाई से अलग करके न केवल मनुष्य को करंट लगने से

बचाती है बल्कि परिपथ को सुरक्षा प्रदान करता है। यह किसी भी उपकरण के धात्वीक आवरण से बहने वाले करंट को डिटेक्ट करके परिपथ को ऑफ कर देता है। यदि परिपथ में लीकेज धारा का मान निर्धारित मान से अधिक होता है तो ये परिपथ को 0.1 सैकंड से भी कम समय में ऑफ कर देती है। यह दो प्रकार की होती है-
1. Voltage Operated ELCB
2. Current Operated ELCB

RCCB- इसकी कार्यक्षमता अत्यधिक कुशल होती है यह 30ma से 300ma तक धारा पर संचालित होने की क्षमता रखता है यह मंहगा होता है। लाईन और न्यूट्रल धारा का अन्तर करंट रेटिंग से अधिक होने पर यह ट्रिप होती है। इसमें अर्थ दोष प्रोटेक्शन होता है।