Causes Of Accident In workshop- किसी कार्यशाला में दुर्घटना के निम्न कारण हो सकते है:-
1. किसी भी कार्य को गंभीरता से नहीं करने से दुर्घटना की संभावना बढ जाती है।
2. खतरे को नजर अंदाज करने से दुर्घटना की संभावना बढ जाती है।
3. सुरक्षा के प्रति लापवाही करने से दुर्घटना की संभावना बढ जाती है।
4. औजारो का सही प्रयोग नहीं करने से दुर्घटना की संभावना बढ जाती है।
5. सुरक्षात्मक सावधानियों का पूर्ण रूप से ज्ञान नहीं होने पर दुर्घटना की संभावना बढ जाती है।
6. बिना रोशनी के कार्यशाला में कार्य करने से दुर्घटना की संभावना बढ जाती है।
Safety Signs - कार्यशाला और कारखानों में कार्य करते समय दुर्घटना से बचने के लिए वहां पर कुछ सुरक्षा चिन्ह बने या लिखे होते है जिनकी पालना करना आवश्यक है अन्यथा दुर्घटना की संभावना बढ जाती है। ये सुरक्षा चिन्ह निम्न चार प्रकार के है:-
1. निषेधात्मक सुरक्षा चिन्ह (Prohibitations safety Sign)- इस सुरक्षा चिन्ह के द्वारा असुरक्षात्मक कार्य को नहीं करने के संकेत दिये जाते है। ये गोलाकार आकृति में होते है इनका बैक ग्राउण्ड सफेद रंग का तथा गोल बोर्डर एवं क्रॉस बार लाल रंग की होती है ये चिन्ह काले रंग से बने होते है।
3. चेतावनी सुरक्षा चिन्ह (Warning safety Sign)- इस चिन्ह के द्वारा खतरे के प्रति चेतावनी दी जाती हैै, ये त्रिभुजाकार आकृति में होते है इनका बैक ग्राउण्ड पीले रंग का तथा बॉर्डर व चिन्ह काले रंग से बना होता है।
इनका प्रयोग विभिन्न प्रकार की सूचनाऐं देने के लिए किया जाता है ये वर्गाकार आकृति में होते है इनका बैक ग्राउण्ड हरे रंग का तथा चिन्ह सफेद रंग से बना होता है।
कार्यशाला में कार्य करते समय निम्न सावधानियां रखनी आवश्यक हैः-
1. कार्यशाला में ढीले कपडे पहनकर मशीन पर कार्य नहीं करना चाहिए।
2. कार्यशाला में कार्य करते समय रबड के जूते पहनकर कार्य करना चाहिए।
3. यदि कोई व्यक्ति बिजली से चिपक गया हो तुरंत मैन स्वीच से सप्लाई को बंद कर देना चाहिए।
4. टावर या पोल पर कार्य करते समय सुरक्षा बेल्ट का प्रयोग करना चाहिए।
5. जब सीढी पर चढकर कार्य कर रहे हो तो एक सहायक द्वारा अवश्य रूप सीढी को पकडे हुए होना चाहिए ताकि सीढी पीसल न सके।
6. फेज वायर हमेशा स्वीच से ही नियन्त्रित होना चाहिए।
7. किसी भी लाईन की सप्लाई चालू करने से पहले यह सुनिश्चत कर लेना चाहिए की लाईन पर कोई व्यक्ति कार्य तो नहीं कर रहा है।
8. फ्यूज बदलने से पहले मैन सप्लाई को बंद कर देना चाहिए।
9. किसी भी पोरटेबल मशीन को एक जगह से दुसरी जगह ले जाने से पहले उसे सप्लाई से अलग कर देना चाहिए।
10. प्लग टॉप को सप्लाई से अलग करते समय वायर पकडकर नहीं खीचना चाहिए परंतु प्लग टॉप को पकडकर ही सप्लाई से अलग करना चाहिए।
11. जिस कमरे में बैटरी को चार्ज किया जाता है उस कमरे के खीडकी द्वरवाजे खोल देने चाहिए ताकि चार्जिंग के समय इलैक्ट्रोलाईट में उत्पन्न गैंसे उस कमरे से बाहर निकल सके।
12. इलैक्ट्रोलाईट तैयार करते समय एसिड को पानी में थोडा थोडा करके डालना चाहिए न की पानी को तेजाब में डालना चाहिए।
13. किसी भी विधुत परिपथ या उपकरण में आग लग जाने पर उस पर पानी डालकर कभी भी नहीं बुझ्ााना चाहिए।
14. किसी भी विधुत परिपथ या उपकरण में आग लग जाने पर उस परिपथ या उपकरण की मुख्य सप्लाई को बंद कर देना चाहिए और यदि मुख्य सप्लाई को बंद करना असंभव हो तो उस पर रेत या सी टी सी प्रकार के आग बुझ्ााने वाले अग्नि शामक यंत्र का प्रयोग करना चाहिए।
15. सभी मशीनो और उपकरणों की सुरक्षा की दृष्टि से अर्थिंग की हुई होनी चाहिए।
16. कार्यशाला स्वच्छ, हवादार और रोशनीदार होना चाहिए।
17. सुरक्षा संकेतो की पालना करनी चाहिए।
18. चालू विधुत लाईन पर कार्य करते समय इंसुलेटिड औजार और हाथों में रबड के दस्ताने पहनकर ही कार्य करना चाहिए।
19. सभी औजारो का कार्य के अनुसार ही प्रयोग करना चाहिए।
20. प्लग टॉप के कनैक्शन करते समय मेन लीड के फेज, न्यूट्रल तथा अर्थ वायर को प्लग टॉप के पिनो से इस प्रकार कसना चाहिए की मेन लीड के फेज, न्यूट्रल तथा अर्थ वायर सॉकेट के फेज, न्यूट्रल तथा अर्थ से ही कनैक्टेड हो।
1 ईधन
2 ऑक्सीजन
3 ताप
आग को बुझ्ााने के लिए उपरोक्त में से कोई भी एक तत्व को हटा देगें तो आग बुझ्ा जायेगी। आग निम्न चार प्रकार की होती है-
1. Class A fire- लकडी, कागज, कपड,े प्लास्टिक आदि में लगी आग क्लास ए फायर कहलाती है। इस प्रकार की आग को बुझ्ााने के लिए पानी, रेत आदि का प्रयोग कर सकते है।
2. Class B Fire- ज्वलनशील द्रव पदार्थों में लगी आग क्लास बी फायर कहलाती है। इस प्रकार की आग पर कभी भी पानी का प्रयोग नहीं करना वाहिए। इस प्रकार की आग को बुझ्ााने के लिए फोम, कार्बन डाई ऑक्साईड या सूखा पाउडर प्रकार के अग्नि शामक प्रकार के यंत्रों का प्रयोग कर सकते है।
3. Class C Fire- ज्वलनशील गैंसीय पदार्थों में लगी आग क्लास सी फायर कहलाती है। इस प्रकार की आग पर कभी भी पानी का प्रयोग नहीं करना वाहिए। इस प्रकार की आग को बुझ्ााने के लिए सूखा पाउडर प्रकार के अग्नि शामक प्रकार के यंत्रों का प्रयोग कर सकते है।
4. Class D Fire- विधुत उपकरणों, परिपथों में लगी आग क्लास डी फायर कहलाती है। इस प्रकार की आग पर कभी भी पानी का प्रयोग नहीं करना वाहिए। इस प्रकार की आग को बुझ्ााने के लिए कार्बन डाई ऑक्साईड, सूखा पाउडर, कार्बन ट्रेटा क्लोराईड प्रकार के अग्नि शामक प्रकार के यंत्रों का प्रयोग कर सकते है।
Fire Extinguisher :- यह एक आग से बचाव की अथवा आग को नियत्रित करने की युक्ति है, किसी भी पदार्थ में लगी आग को बुझ्ााने के लिए अग्नि शामक यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। ये अग्नि शामक यंत्र निम्न प्रकार के होते है।
1. Foam Type Fire Extinguisher- इस प्रकार के यंत्रों का प्रयोग ठोसों एवं ज्वलनशील द्रव पदार्थों में लगी आग को बुझ्ााने के लिए किया जाता है। इनका प्रयोग विधुत उपकरणों में लगी आग को बुझ्ााने के लिए नहीं करना चाहिए क्योंकी पानी तथा फोम विधुत का अच्छा चालक है।
2. CO2 type Fire Extinguisher - इस प्रकार के यंत्रों में सोडियम बाईकाब्रोनेट (NaHCO3) का घोल भरा होता है इसमें एक कांच की बोतल होती है जिसमें dil. H2SO4 भरा होता है बोतल के उपर एक बोल्ट लगा होता है इस यंत्र को उलटा करके पटकने पर कांच की बोतल टुट जाती है जिससे dil. H2SO4 सोडियम बाईकाब्रोनेट से क्रिया करके कार्बनडाई गैेंस उत्पन्न करता है। यह कार्बनडाई ऑक्साईड गैंस आग के उपर फैलकर लगी आग की ऑक्सीजन सप्लाई को बंद कर देती है जिससे आग बुझ्ा जाती है। इन यंत्रों का प्रयोग विधुत उपकरणों में लगी आग को बुझ्ााने के लिए किया जाता है।
3. CTC type Fire Extinguisher - इस प्रकार के यंत्रो में कार्बन ट्रेटाक्लोराईड (CCl4) या ब्रोमोक्लोरो डि फलोरो मीथेन द्रव का प्रयोग हवा के दवाब के साथ भरकर यंत्र में किया जाता है इस यंत्र का लीवर दबाने पर यह द्रव वाष्प में परिवर्तीत होकर यंत्र से बाहर निकलता है और हवा से भारी होने के कारण आग को ढक देता है जिससे आग की ऑक्सीजन सप्लाई बंद हो जाती है और आग बुझ्ा जाती है। इस प्रकार के यंत्रों का प्रयोग विधुत उपकरणों में लगी आग का बुझ्ााने के लिए किया जात है।
4. Water Fiiled Fire Extinguisher- इस प्रकार के यंत्र में हवा के दवाब के साथ जल भरा होता है जब लीवर को दबाया जाता है तो पानी की बौछार उत्पन्न होती है जिससे आग बुझ्ा जाती है। इस प्रकार के यंत्रों का प्रयोग क्लास ए फायर को बुझ्ाानें के लिए किया जाता है।