Matter- ऐसी वस्तु जो स्थान घेरती हो तथा उसमें भार होता हो जिसके कारण वह पृथ्वी की तरफ आकर्षित होती है पदार्थ कहलाती है। प्रत्येक पदार्थ परमाणुओं तथा अणुओं से बना होता है। ये तीन प्रकार के हो सकते है जो निम्न प्रकार से है-
Solid - जिस वस्तु का निश्चित भार, आयतन एवं आकार होता है वह ठोस पदार्थ कहलाता है।
Liquid - जिस वस्तु का निश्चित भार व आयतन तो होता है परन्तु निश्चित आकार नहीं होता है वह द्रव कहलाता है।
Gas- जिसका निश्चित भार तो होता है परन्तु निश्चित आयतन एवं आकार नहीं होता है। वह गैंस कहलाता है।
Molecule- किसी पदार्थ का वह छोटे से छोटा कण जिसमें उस पदार्थ के सभी भौतीक एवं रासायनिक गुण विद्यमान हों और जो स्वतंत्र अवस्था में विद्यमान रह सके अणु कहलाता है।
Atom- किसी पदार्थ का वह छोटे से छोटा कण जो रासायनिक क्रियाओं में भाग ले सके या रासायनिक क्रियओं के द्वारा अलग किया जा सके और स्वतंत्र अवस्था में उपस्थित न रह सके उसे परमाणु कहते है।
Element- एक ही प्रकार के परमाणुओं से बने पदार्थ Element कहलाते है। जैसे- कार्बन, लौहा, हाईड्रोजन आदि।
Compound- दो या दो से अधिक प्रकार के परमाणुओं के रासायनिक संयोग से बने पदार्थ यौगिक कहलाते है। जैसे-जल, नमक, नौसादर आदि। इनके अवयवों को रासायनिक विधियों से ही पृथक किया जा सकता है।
Mixture- दो यो दो से अधिक प्रकार के पदार्थों को एक निश्चित अनुपात में भौतिक रूप में मिला देने पर बना पदार्थ मिश्रण कहलाता है। इनकें अवयवों का भौतिक विधियों द्वारा ही पृथक किया जा सकता है।
Atomic Structure - परमाणु मुख्यतः प्राटॉन, इलैक्ट्रॉन, एवं न्यूटॉन से बना होता है। प्रत्येक परमाणु के केन्द्र में होता है जिसे नाभिक कहते है। इस नाभिक के चारों और विभिन्न कक्षों में इलैक्ट्रॉन चक्कर लगाते रहते है।
Nucleus- परमाणु का केन्द्रीय सघन भाग नाभिक कहलाता है। इसमें प्राटॉन तथा न्यूट्रॉन स्थित होते है। ये दोनों प्रकार के कण अन्तरा आणविक बल द्वारा नाभिक में बंधे रहते है। परमाणु की नाभिक के चारों और रिक्त स्थान होता है जिसकी विभिन्न कक्षाओं में इलैक्ट्रॉन गति करते रहते है।
Electron, Proton, Neutron-
परमाणु के अन्दर मौजूद सुक्ष्मतम मूलकणों को इलैक्टोन प्रोटोन और न्यूटान कहते है। न्यूटान और प्रोटोन परमाणु की नाभि में विद्यमान रहते है । जबकि परमाणु की नाभिक में कोई भी इलैक्टान विद्यमान नहीं रहता है इलैकटान सदैव नाभि के चारों और गति करते रहते है।
Electron - ये वे कण होते है जिन पर ऋणात्मक आवेश होता है ये वजन में बहुत हल्के होते है।
आवेश- -1.6X10-19 C
भार - 9.1X10-31 Kg
प्राटोन - ये वे कण होते है जिन पर धनातमक आवेश होता है प्रोटोन वजन में कुछ भारी होते है।
आवेश- +1.6X10-19 C
भार - 1.67X10-27 Kg
न्यूटान -ये वे कण होते है जिन पर कोई भी आवेश विद्यमान नहीं रहता है ये वजन में बहुत ही हल्के होते है।
आवेश- शून्य
भार - 1.67X10-27 Kg
Engineering Material- ऐसे पदार्थ जो विधुत अभियान्त्रिकी के क्षेत्र में प्रयोग में लिये जाते है विधुत अभियान्त्रिकी पदार्थ कहलाते है।
1. Conductor (चालक)
2. Semiconductor (अर्द्धचालक)
3. Insulator (अचालक)
4. Magnetic Material (चुम्बकीय पदार्थ)
1- Conductor Material (चालक पदार्थ) - ऐसे पदार्थ जिसमें विधुत धारा का प्रवाह आसानी से हो सकता हो चालक पदार्थ कहलाता है। इनकी चालकता बहुत अधिक होती है इनमें कमरे के तापमान पर मुक्त इलैक्ट्रान की संख्या बहुत अधिक मात्रा में होती है जिसके कारण इनमें धारा का प्रवाह सुगमता से होता है। चांदी विधुत का बहुत अच्छा चालक है इसमें मुक्त इलैक्ट्रॉन की संख्या बहुत अधिक होती है। जैसा:- चांदी, सोना, ताबंा, एल्युमिनियम इत्यादि।
एक अच्छे चालक में निम्न प्रकार के गुण होने चाहिए:-
1. कम विशिष्ट प्रतिरोध।
2. जंगरोधि।
3. अधिक यांत्रिक श्क्ति।
4. अधिक गंलनाक बिन्दु।
5. तार खीचनें योग्य।
6. आसानी से सोल्डर होने योग्य।
7. आसानी से उपलब्ध होना चाहिए।
8. कम कीमती।
2- Semiconductor Material (अर्द्धचालक पदार्थ):- ऐसे पदार्थ जिनकी चालकता चालक और अर्द्धचालक पदार्थों के बीच की हो अर्थात वे पदार्थ जो विधुत के न तो अच्छे चालक हो और नहीं अच्छे कुचालक हो अर्द्धचालक पदार्थ कहलाते है। सामान्य तापमान पर इन पदार्थों की चालकता बहुत ही कम होती है जैसे जैसे तापमान बढता इनकी चालकता भी तेजी से बढती जाती है। जैसे की:-जर्मेनियम, सिलिकॉन, गैलियम, आर्सेनिक आदि।
अर्द्धचालकों के गुण:-
1. इनकी दक्षता अधिक होती है।
2. इनमें विधुत श्क्ति व्यय कम होता है।
3. ये हल्के तथा आकार में छोटे होते है।
4. ये वातावरण के प्रभाव से मुक्त होते है।
3- Insulator (अचालक)- ऐसे पदार्थ जिनमें धारा का प्रवाह आसानी से नहीं होता है अचालक पदार्थ कहलाते है। अचालक पदार्थों में इलैक्ट्रॉन Nucleus के साथ Tightly Bounded होते है इसके कारण वे पदार्थ में असानी से गति नहीं कर पाते है। इन पदार्थों में मुक्त इलैक्ट्रोनों की संख्या भी बहुत कम अथवा नगण्य होती है जिसके कारण इन पदार्थों में धारा प्रवाह नहीं होता है। इनका प्रतिरोध बहुत अधिक होता है तथा चालकता बहुत ही कम होती है अथवा नगण्य होती है। जैसे:- प्लासटिक, सिरेमिक,पी वी सी इत्यादि।
Safety Accessories- जो एसैसरिज विधुत परिपथ को शॉर्ट सर्किट, ओवर लोड एवं लीकेज की स्थिति में सुरक्षा प्रदान करती है वह सुरक्षात्मक एसैसरिज कहलाती है।
जैसे- Fuse, MCB, ELCB, RCCB, MCCB आदि।
Fuse - यह परिपथ का वह कमजोर भाग होता है जो परिपथ में अत्यधिक धारा बहने पर पिघल कर परिपथ को विधुत सप्लाई से सुरक्षित तरिके से अलग कर देता है। Fuse Wire का मुख्य कार्य निर्धारित मान की धारा को सहन करना है और यदि निर्धारित मान से अधिक धारा परिपथ में प्रवाहित हो तो पिंघल कर परिपथ को सुरक्षा प्रदान करना है। Fuse Wire मुख्यतः टीन, लैड, जिंक, सिल्वर, एल्युमिनियम, कॉपर आदि के बनाये जाते है। मुख्य रूप से Fuse का वर्गीकरण दो प्रकार से किया गया है-
1. वोल्टेज के आधार पर
A-हाई वोल्टेज फ्यूज।
B-लो वोल्टेज फ्यूज।
2. बनावट के आधार पर।
A-Semiclosed Fuse - इसमें KITKAT प्रकार के फ्यूज आते है।
B-Totaly Closed Fuse- इसमें एच आर सी, कारट्रिज और लिकिव्ड प्रकार के फ्यूज आते है।
KITKAT Fuse- इस प्रकार के फयूज पोर्सलेन के बने होते है इसके दो भाग होत है एक फ्यूज कैरियर तथा दूसरा बेस । फ्यूज वायर फयूज कैरियर में लगा होता है । जब धारा निर्धारित मान से अधिक परिपथ में प्रवाहित होती है तो यह फ्यूज वायर पिघल जाता है और परिपथ को सुरक्षा प्रदान करता है । इस फ्यूज वायर के जलने के बाद नया फ्यूज वायर कैरियर में लगा कर उसी यूनिट को पुनः प्रयोग में लिया जा सकता है। इस लिये यह MCB की अपेक्षा सस्ता होता है परन्तु यह अधिक विश्वनीय नहीं है।

HRC Fuse- इसका पूरा नाम उच्च विदारण क्षमता हाई रैप्चरिंग कैपेसिटी फ्यूज है। इसकी क्षमता 30A से 1000A तक की होती है। यह फ्यूज पूरी तरह से बंद होता है इस फ्यूज में एक सिरामिक की गोल टयूब होती है तथा ट्यूब के दोनों सिरों पर कांटेक्ट पांईट लगे होते है जो की फ्यूज एंलिमेंट से जुडा रहता है। इस फ्यूज में चिंगारी की गर्मी को कम करने के लिए पाउडर भरा होता है जिससे की फ्यूज में उत्पन्न हुई चिंगारी से आग लगने का डर नहीं रहता है।
Kartridge Fuse- यह फ्यूज पूरी तरह से बद होता है तथा हाई वोल्टता पर इसका इस्तेमाल किया जाता है इस फ्यूज में कोराना से लडने की क्षमता होती है इसका ऐलिमेंट तांबा व टिन की मिश्र धातु से क्रमशः 67 व 37 प्रतिशत से बना होता है। इसकी क्षमता 2। से 60। तक की होती है।यह फ्यूज पोर्सलिन व कांच का बना होता है तथा ट्यूब के आकार में होता है तथा ट्यूब के दोनों सिरों पर कांटेक्ट पांईट लगे होते है जो की फ्यूज एंलिमेंट से जुडा रहता है।
MCB- MCB ने आधुनिक समय में फ्यूज का स्थान ले लिया है आज के समय में MCB का प्रयोग काफि बढ गया है। यह प्रायः 63एम्पियर क्षमता तक की बनाई जाती है इसका ट्रिप लेवल इसकी लोड धारा क्षमता से अधिक होता है निर्धारित क्षमता से अधिक धारा परिपथ में प्रवाहित होने पर ही ये परिपथ को ट्रिप कर देती है। इसमें अर्थ दोष प्रोटेक्शन नहीं होता है। MCB निम्न गुणों के कारण आज लोकप्रिय हो चुकी है:-
1. इसकी स्थापना करना अधिक सरल है।
2. ये देखने में सुन्दर लगती है।
3. यह अधिक भरोसेमंद है।
4. इसकी देखभाल की कम आवश्यकता होती है।
5. इसे दोष आने पर संचालित करना बहुत सरल है। दोष आने पर इसे संचालित करने के लिए इसकी नॉब को केवल उपर करना पडता है।
6. यह अतिभारति अवस्था में ओवरलोड धारा के चौथे भाग पर परिपथ को काट देता है।
7. MCB कि स्थिति को देखकर ही दोष वाले परिपथ का पता लगाया जा सकता है।
ELCB -यह अर्थ लीकेज की स्थिति में परिपथ को सप्लाई से अलग करके न केवल मनुष्य को करंट लगने से बचाती है बल्कि परिपथ को सुरक्षा प्रदान करता है। यह किसी भी उपकरण के धात्वीक आवरण से बहने वाले करंट को डिटेक्ट करके परिपथ को ऑफ कर देता है। यदि परिपथ में लीकेज धारा का मान निर्धारित मान से अधिक होता है तो ये परिपथ को 0.1 सैकंड से भी कम समय में ऑफ कर देती है। यह दो प्रकार की होती है-
1. Voltage Operated ELCB
2. Current Operated ELCB
RCCB- इसकी कार्यक्षमता अत्यधिक कुशल होती है यह 30ma से 300ma तक धारा पर संचालित होने की क्षमता रखता है यह मंहगा होता है। लाईन और न्यूट्रल धारा का अन्तर करंट रेटिंग से अधिक होने पर यह ट्रिप होती है।
Current :-किसी परिपथ में इलैक्ट्रान प्रवाह की दर को धारा कहते है। धारा को I द्वारा दर्शाया जाता है इसका मात्रक एम्पियर है और मात्रक का प्रतीक A है। इसे एमीटर द्वारा मापा जाता है।
Electron, Proton, Neutron-
परमाणु के अन्दर मौजूद सुक्ष्मतम मूलकणों को इलैक्टोन प्रोटोन और न्यूटान कहते है। न्यूटान और प्रोटोन परमाणु की नाभि में विद्यमान रहते है । जबकि परमाणु की नाभिक में कोई भी इलैक्टान विद्यमान नहीं रहता है इलैकटान सदैव नाभि के चारों और गति करते रहते है।
Electron - ये वे कण होते है जिन पर ऋणात्मक आवेश होता है ये वजन में बहुत हल्के होते है।
आवेश- -1.6X10-19 C
भार - 9.1X10-31 Kg
प्राटोन - ये वे कण होते है जिन पर धनातमक आवेश होता है प्रोटोन वजन में कुछ भारी होते है।
आवेश- +1.6X10-19 C
भार - 1.67X10-27 Kg
न्यूटान -ये वे कण होते है जिन पर कोई भी आवेश विद्यमान नहीं रहता है ये वजन में बहुत ही हल्के होते है।
आवेश- शून्य
भार - 1.67X10-27 Kg
Engineering Material- ऐसे पदार्थ जो विधुत अभियान्त्रिकी के क्षेत्र में प्रयोग में लिये जाते है विधुत अभियान्त्रिकी पदार्थ कहलाते है।
1. Conductor (चालक)
2. Semiconductor (अर्द्धचालक)
3. Insulator (अचालक)
4. Magnetic Material (चुम्बकीय पदार्थ)
1- Conductor Material (चालक पदार्थ) - ऐसे पदार्थ जिसमें विधुत धारा का प्रवाह आसानी से हो सकता हो चालक पदार्थ कहलाता है। इनकी चालकता बहुत अधिक होती है इनमें कमरे के तापमान पर मुक्त इलैक्ट्रान की संख्या बहुत अधिक मात्रा में होती है जिसके कारण इनमें धारा का प्रवाह सुगमता से होता है। चांदी विधुत का बहुत अच्छा चालक है इसमें मुक्त इलैक्ट्रॉन की संख्या बहुत अधिक होती है। जैसा:- चांदी, सोना, ताबंा, एल्युमिनियम इत्यादि।
एक अच्छे चालक में निम्न प्रकार के गुण होने चाहिए:-
1. कम विशिष्ट प्रतिरोध।
2. जंगरोधि।
3. अधिक यांत्रिक श्क्ति।
4. अधिक गंलनाक बिन्दु।
5. तार खीचनें योग्य।
6. आसानी से सोल्डर होने योग्य।
7. आसानी से उपलब्ध होना चाहिए।
8. कम कीमती।
2- Semiconductor Material (अर्द्धचालक पदार्थ):- ऐसे पदार्थ जिनकी चालकता चालक और अर्द्धचालक पदार्थों के बीच की हो अर्थात वे पदार्थ जो विधुत के न तो अच्छे चालक हो और नहीं अच्छे कुचालक हो अर्द्धचालक पदार्थ कहलाते है। सामान्य तापमान पर इन पदार्थों की चालकता बहुत ही कम होती है जैसे जैसे तापमान बढता इनकी चालकता भी तेजी से बढती जाती है। जैसे की:-जर्मेनियम, सिलिकॉन, गैलियम, आर्सेनिक आदि।
अर्द्धचालकों के गुण:-
1. इनकी दक्षता अधिक होती है।
2. इनमें विधुत श्क्ति व्यय कम होता है।
3. ये हल्के तथा आकार में छोटे होते है।
4. ये वातावरण के प्रभाव से मुक्त होते है।
3- Insulator (अचालक)- ऐसे पदार्थ जिनमें धारा का प्रवाह आसानी से नहीं होता है अचालक पदार्थ कहलाते है। अचालक पदार्थों में इलैक्ट्रॉन Nucleus के साथ Tightly Bounded होते है इसके कारण वे पदार्थ में असानी से गति नहीं कर पाते है। इन पदार्थों में मुक्त इलैक्ट्रोनों की संख्या भी बहुत कम अथवा नगण्य होती है जिसके कारण इन पदार्थों में धारा प्रवाह नहीं होता है। इनका प्रतिरोध बहुत अधिक होता है तथा चालकता बहुत ही कम होती है अथवा नगण्य होती है। जैसे:- प्लासटिक, सिरेमिक,पी वी सी इत्यादि।
Safety Accessories- जो एसैसरिज विधुत परिपथ को शॉर्ट सर्किट, ओवर लोड एवं लीकेज की स्थिति में सुरक्षा प्रदान करती है वह सुरक्षात्मक एसैसरिज कहलाती है।
जैसे- Fuse, MCB, ELCB, RCCB, MCCB आदि।
Fuse - यह परिपथ का वह कमजोर भाग होता है जो परिपथ में अत्यधिक धारा बहने पर पिघल कर परिपथ को विधुत सप्लाई से सुरक्षित तरिके से अलग कर देता है। Fuse Wire का मुख्य कार्य निर्धारित मान की धारा को सहन करना है और यदि निर्धारित मान से अधिक धारा परिपथ में प्रवाहित हो तो पिंघल कर परिपथ को सुरक्षा प्रदान करना है। Fuse Wire मुख्यतः टीन, लैड, जिंक, सिल्वर, एल्युमिनियम, कॉपर आदि के बनाये जाते है। मुख्य रूप से Fuse का वर्गीकरण दो प्रकार से किया गया है-
1. वोल्टेज के आधार पर
A-हाई वोल्टेज फ्यूज।
B-लो वोल्टेज फ्यूज।
2. बनावट के आधार पर।
A-Semiclosed Fuse - इसमें KITKAT प्रकार के फ्यूज आते है।
B-Totaly Closed Fuse- इसमें एच आर सी, कारट्रिज और लिकिव्ड प्रकार के फ्यूज आते है।


HRC Fuse- इसका पूरा नाम उच्च विदारण क्षमता हाई रैप्चरिंग कैपेसिटी फ्यूज है। इसकी क्षमता 30A से 1000A तक की होती है। यह फ्यूज पूरी तरह से बंद होता है इस फ्यूज में एक सिरामिक की गोल टयूब होती है तथा ट्यूब के दोनों सिरों पर कांटेक्ट पांईट लगे होते है जो की फ्यूज एंलिमेंट से जुडा रहता है। इस फ्यूज में चिंगारी की गर्मी को कम करने के लिए पाउडर भरा होता है जिससे की फ्यूज में उत्पन्न हुई चिंगारी से आग लगने का डर नहीं रहता है।
Kartridge Fuse- यह फ्यूज पूरी तरह से बद होता है तथा हाई वोल्टता पर इसका इस्तेमाल किया जाता है इस फ्यूज में कोराना से लडने की क्षमता होती है इसका ऐलिमेंट तांबा व टिन की मिश्र धातु से क्रमशः 67 व 37 प्रतिशत से बना होता है। इसकी क्षमता 2। से 60। तक की होती है।यह फ्यूज पोर्सलिन व कांच का बना होता है तथा ट्यूब के आकार में होता है तथा ट्यूब के दोनों सिरों पर कांटेक्ट पांईट लगे होते है जो की फ्यूज एंलिमेंट से जुडा रहता है।
MCB- MCB ने आधुनिक समय में फ्यूज का स्थान ले लिया है आज के समय में MCB का प्रयोग काफि बढ गया है। यह प्रायः 63एम्पियर क्षमता तक की बनाई जाती है इसका ट्रिप लेवल इसकी लोड धारा क्षमता से अधिक होता है निर्धारित क्षमता से अधिक धारा परिपथ में प्रवाहित होने पर ही ये परिपथ को ट्रिप कर देती है। इसमें अर्थ दोष प्रोटेक्शन नहीं होता है। MCB निम्न गुणों के कारण आज लोकप्रिय हो चुकी है:-
1. इसकी स्थापना करना अधिक सरल है।
2. ये देखने में सुन्दर लगती है।
3. यह अधिक भरोसेमंद है।
4. इसकी देखभाल की कम आवश्यकता होती है।
5. इसे दोष आने पर संचालित करना बहुत सरल है। दोष आने पर इसे संचालित करने के लिए इसकी नॉब को केवल उपर करना पडता है।
6. यह अतिभारति अवस्था में ओवरलोड धारा के चौथे भाग पर परिपथ को काट देता है।
7. MCB कि स्थिति को देखकर ही दोष वाले परिपथ का पता लगाया जा सकता है।

1. Voltage Operated ELCB
2. Current Operated ELCB
RCCB- इसकी कार्यक्षमता अत्यधिक कुशल होती है यह 30ma से 300ma तक धारा पर संचालित होने की क्षमता रखता है यह मंहगा होता है। लाईन और न्यूट्रल धारा का अन्तर करंट रेटिंग से अधिक होने पर यह ट्रिप होती है।
Current :-किसी परिपथ में इलैक्ट्रान प्रवाह की दर को धारा कहते है। धारा को I द्वारा दर्शाया जाता है इसका मात्रक एम्पियर है और मात्रक का प्रतीक A है। इसे एमीटर द्वारा मापा जाता है।
Potential Difference :- विधुत परिपथ में किन्हीं दो बिंदुओं के विधुत विभवों में अंतर को विभवान्तर कहते है।
या
ईकाई धनावेश को एक बिन्दु से दुसरे बिन्दु तक ले जाने के लिए किए गए कार्य को उन दो बिन्दुओं के बीच का विभान्तर कहते है।
इसका प्रतीक V है एवं इसकी ईकाई वोल्ट है और वोल्ट को V द्वारा दर्शाया जाता है इसे वोल्टमीटर द्वारा मापा जाता है।
Resistance :- किसी पदार्थ का वह गुण जो विधुत धारा प्रवाह में बाधा उत्पन्न करता है प्रतिरोध कहलाता है इसे R द्वारा दर्शाया जाता है एवं इसका मात्रक ओहम है और इसे ओमेगा Ω द्वारा दर्शाया जाता है। प्रतिरोध को मापने के लिए ओहममीटर का प्र्रयोग किया जाता है।
Electromotive Force - वह बल जो किसी पदार्थ में इलैक्ट्रान को गति प्रदान करने का कार्य करता है ई एम एफ कहलाता है। इसे E से दर्शाया जाता है। इसकी ईकाई वोल्ट है एवं वोल्ट को V से दर्शाया जाता है।
Ohm's Law- वैज्ञानिक जोर्ज सिमोन ओहम ने डी सी परिपथों में विधुत धारा तथा विभवान्तर तथा प्रतिरोध के संबंध में एक नियम स्थापित किया जिसे ओहम का नियम कहते है। इस नियम के अनुसार- स्थिर तापमान तथा स्थिर भौतिक परिस्थितियों में किसी बंद DC परिपथ में किसी प्रतिरोधक के सिरों पर उत्पन्न होने वाले विभवान्तर उस प्रतिरोधक में से प्रवाहित होने वाली विधुत धारा मान के अनुक्रमानुपाती होता है।
VαI
V=IR
R=V/I
यहां-
R= Resistance in Ω
V= Voltage in Volt
I= Current In amp.
Law Of Resistance - किसी पदार्थ का प्रतिरोध निम्न पर निर्भर करता है-
1- किसी चालक का प्रतिरोध उसकी लम्बाई के समानुपाती होता है-Rαl
2- किसी चालक का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ कटाक्ष क्षैत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है -Rα1/a
3- किसी चालक का प्रतिरोध पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है।
4- किसी चालक का प्रतिरोध तापमान पर भी निर्भर करता है।
Rαl/a
R= ρ l/a
यहां-
R- चालक का प्रतिरोध Ω में
ρ- स्थिराक
L- चालक की लम्बाई सेमी
a-चालक का अनुप्रस्थ कटाक्ष क्षैत्रफल वर्ग सेमी
Specific Resistance -किसी ईकाई घन सेमी पदार्थ टुकडे का प्रतिरोध उसका विशिष्ठ प्रतिरोध कहलाता है। इसे ρ द्वारा दर्शाया जाता है एवं इसका मात्रक ओहम-मीटर Ω.-M है।
Conductance- किसी पदार्थ का वह गुण जो धारा प्रवाह में सहायक होता है चालकता कहलाता है। चालकता प्रतिरोध के विलोमानुपाती होती है। इसे G से दर्शाया जाता है एवं इसका मात्रक साईमन या म्हो है और इसे S या म्हो Ʊ से दर्शाया जाता है।
G=1/R
यहां-
G- चालक की चालकता म्हो Ʊ में
R- चालक का प्रतिरोध Ω में
Specific Conductance- विशिष्ट प्रतिरोध का विपरित प्रभाव ही विशिष्ट चालकता कहलाता है। इसे σ द्वारा दर्शाया जाता है इसका मात्रक साईमन प्रति सेमी है।
σ=1/ρ
Temp. Coefficient - किसी चालक पदार्थ के प्रतिरोध मान में 10C तापमान परिवर्तन के लिए होने वाली वृद्धि या कमी उस पदार्थ का ताप गुणांक कहलाती है।
यदि पदार्थ का प्रतिरोध 00C तापमान पर R0 हो तो t0 पर Rt हो तो
यदि पदार्थ का प्रतिरोध 00C तापमान पर R0 हो तो t0 पर Rt हो तो
Rt=R0(1+α0 t)
α0=Rt-R0/R0t
यहाँ -
α0=00C पर तापगुणाक